बस परम्परागत प्रकाशकों की इन्हीं मनमानी की प्रतिक्रिया है सेल्फ पब्लिकेशन। जिसने बुक प्रिंटिंग की फील्ड में क्रांति ला दी आइये जानते हैं इसके कुछ फायदे:-
आप अपनी रचना अपने अनुरूप लिख सकते है
परम्परागत प्रकाशक के एडिटर आपकी लिखी कहानी को कई बार उनके अनुरूप बदलवाते थे या किन्हीं चुनिंदा विषय मात्र पर लिखी रचनाओं को महत्वता देते थे स्वप्रकाशन में आप अपने विषय और कंटेंट को लेकर स्वतन्त्र हैं।
रॉयल्टी में इजाफा
परम्परागत प्रकाशक रॉयल्टी के नाम पर आपको नाम मात्र की खाना पूर्ति करते हैं बहुत ज्यादा तो 15 से 20% पर स्वप्रकाशन आने से लेखक को उसकी मेहनत का फल मिलने लगा एक ओर जहां किंडल 70% वहीं shabd.in 80% रॉयल्टी लेखक को उनकी ईबुक के दाम पर देते हैं।स्वामित्व पर अधिकार
पारंपरिक प्रकाशक कभी-कभी पुनर्मुद्रण, फिल्म रूपांतरण और बिक्री के लिए विशेष अधिकार मांगते हैं। सेल्फ पब्लिशिंग मार्ग कम से कम यह सुनिश्चित करता है कि आप पूर्ण नियंत्रण में रहें।
कम लागत और नए लेखकों को मौका
सेल्फ पब्लिकेशन में लागत अपने आप कम हो जाती है क्योंकि आधे से ज्यादा काम लेखक खुद कर लेता है साथ ही साथ इसमे भेद भाव किसी लेखक के साथ नही होता सबकी बुक प्रिंट होगी। (सिर्फ मैटर पब्लिकली शेयर करने योग्य हो)ऑनलाइन प्लेटफार्म का विकल्प
सेल्फ पब्लिशिंग आने से ऑनलाइन राइटिंग प्लेटफार्म सोने पर सुहागा का काम करते हैं आपको वहां साथी लेखकों को पढ़ने का मौका भी मिलता है अपनी पुस्तक पर समीक्षा भी और पुस्तक के खरीददार भी वहीं मिल जाते हैं।
इस प्रकार हम देख सकते हैं की सेल्फ पब्लिकेशन ने किस प्रकार परम्परागत प्रकाशन में होनी वाली कमियों को खत्म किया इसलिए भारत मे सेल्फ पब्लिकेशन का क्रेज आज सबसे ज्यादा है।
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